“खून का हिसाब चुकता होगा”… हिज़्बुल्लाह के शीर्ष कमांडर की हत्या के बाद ईरान की इज़रायल को चेतावनी, क्या छिड़ सकती है एक और जंग?

दक्षिण बेरूत में इज़रायली हमले के दौरान हिज़्बुल्लाह के शीर्ष सैन्य कमांडर हायथम अली तबताबाई सहित संगठन के कई सदस्यों की मौत हो गई। सोमवार, 24 नवंबर को इन सभी का अंतिम संस्कार किया गया, जबकि ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने इस कार्रवाई का बदला लेने की खुली चेतावनी दी। नवंबर 2024 के युद्धविराम के बाद तबताबाई अब तक इज़रायल द्वारा मारे गए हिज़्बुल्लाह के सबसे वरिष्ठ कमांडर माने जा रहे हैं। हिज़्बुल्लाह को ईरान का मजबूत समर्थन प्राप्त है।

यह हमला ऐसे समय सामने आया जब इज़रायल ने लेबनान पर अपने हमले तेज कर दिए हैं और अमेरिका लेबनान सरकार पर हिज़्बुल्लाह को निरस्त्र करने और उसकी फंडिंग रोकने का दबाव बढ़ा रहा है।

ईरान और उसकी सेना की कड़ी प्रतिक्रिया

ईरान ने तबताबाई की हत्या को “कायरतापूर्ण” करार दिया। ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने चेतावनी देते हुए कहा, “इस्लाम के बहादुर सैनिकों के खून का बदला लेना प्रतिरोध की धुरी और लेबनानी हिज़्बुल्लाह का वैध अधिकार है और इसमें कोई संदेह नहीं।”

एएफपी के अनुसार, बेरूत के घनी आबादी वाले दक्षिणी उपनगरों—जहां हिज़्बुल्लाह का गहरा प्रभाव है—में तबताबाई और उनके दो साथियों के अंतिम संस्कार में सैकड़ों समर्थक मौजूद थे। ताबूतों को हिज़्बुल्लाह के पीले झंडों में लपेटा गया था। भीड़ ने इज़रायल और अमेरिका के खिलाफ नारे लगाए और कई लोगों ने हिज़्बुल्लाह नेताओं तथा ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली ख़ामेनेई की तस्वीरें थाम रखी थीं।

दूसरी ओर, फ्रांस के विदेश मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता ने हमले पर चिंता व्यक्त की और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की। संयुक्त राष्ट्र के स्टीफन दुजारिक ने याद दिलाया कि “नागरिकों और नागरिक क्षेत्रों को कभी निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।”
इज़रायली सेना ने दावा किया था कि उसने “हिज़्बुल्लाह के जनरल स्टाफ के प्रमुख आतंकवादी हायथम अली तबताबाई को मार गिराया।”

हिज़्बुल्लाह ने पुष्टि की कि इस हमले में तबताबाई सहित उसके पांच सदस्य मारे गए।

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